Add To collaction

द गर्ल इन रूम 105–८४

मेरे जैसी स्टुपिड वाइफ को भला क्या पता? जब मैं सो रही होऊंगी तो ये बने गए होंगे।'


'नहीं, पम्मी, मैं कहीं नहीं गया था।'

*मैंने तुम्हारे लिए कैलिफ़ोर्निया में अपना कैरियर छोड़ दिया, विनीता में सीनियर कंसल्टेंट थी। लेकिन तुम्हारी देशभक्ति और रिसर्च ऑल्मेशन के लिए सब छोड़कर चली आई और तुमने मेरे साथ यह किया?"

पम्मी, मैंने कुछ नहीं किया।'

“क्योंकि उस लड़की ने तुम्हें कुछ करने नहीं दिया।' मिसेज़ सक्सेना ने अपना हाथ उनकी तरफ़ बढ़ाते हुए

प्रोफ़ेसर सक्सेना एक कदम पीछे हट गए। प्लीज मुझे मत मारो।'

"मैं तुम्हें बर्बाद कर दूंगी, यू ब्लडी क्रीप, वे मेरी तरफ मुड़ीं। 'मुझे क्या करना होगा? क्या मैं एक डॉक्यूमेंट साइन करके तुम लोगों को दू कि उस रात को मेरे हसबैंड घर में नहीं थे?"

'नहीं, प्रोफ़ेसर सक्सेना चिल्लाए और अपनी पत्नी के पैरों में गिर पड़े।

'इससे काम हो जाएगा ना? इतने सबूतों के बाद तो इनको जीवनभर जेल में चक्की पीरानी पड़ेगी।" मैंने कंधे उचका दिए।

★ आप हमें जो भी देंगी, हम पुलिस को सबमिट कर देंगे, मैंने कहा। प्रोफ़ेसर सक्सेना घुटनों के बल झुके रहे।

"मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं। हां, मैं उसे लाइक करता था। वो खूबसूरत और स्मार्ट थी। में कमज़ोर पड़ गया

था। लेकिन हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ था। और मैं तुम्हारी कसम खाकर कहता हूं कि मैंने उसको नहीं मारा।' मिसेज सक्सेना ने कहा, 'नहीं, मेरी कसम तो खाओ ही मत, गंदे आदमी। बॉय्ज, पुलिस के पास जाओ,' मिसेज़ सक्सेना ने गुस्से में कहा।

"क्या किसी ने मुझे उस रात हॉस्टल जाते देखा? या किसी ने मुझे उस रात अपने घर से निकलते देखा ?" "मैं कह दूंगी कि मैंने देखा, मिसेज़ सक्सेना ने कहा । इस पर सोच सकती हैं और हमें बता सकती....

मैम, अभी आप गुस्से में हैं। लेकिन हम सच जानना चाहते हैं, मैंने कहा। क्या आप थोड़ा ठंडे दिमाग़ से

मिसेज़ सक्सेना ने बीच में ही मुझे रोक दिया।

“मैं ऐसे मौके पर ठंडा दिमाग़ कैसे रख सकती हूं? मैंने इस मूर्ख आदमी के लिए दो लाख डॉलर सालाना का

जॉब छोड़ दिया। इसके नकली उसूलों के लिए। मैं जाने के लिए उठ खड़ा हुआ।

श्योर और मैम एक और बात, ' सौरभ ने जाते-जाते कहा। "क्या?"

"प्रेशर कुकर का ढक्कन खोल दीजिएगा। नहीं तो काली दाल गल जाएगी।'

'डीन सक्सेना?' राणा ने हौज खास स्टारबक्स पर अपनी इंडेड परसेंट फ्री लात्ते कॉफ़ी पीते हुए कहा। मैं और सौरभ उनके सामने बैठे थे। उन्होंने अपना कप नीचे रखा और लगभग रावण की तरह ठहाका लगाया।

"हां, मैंने कहा, 'और आपको मानना होगा कि इस बारे में काफी सबूत हैं।" 'हो.' राणा ने हंसना जारी रखते हुए कहा।

"तो आप हंस क्यों रहे हैं. सर?' सौरभ ने कहा। वो अभी तक राणा से बात करते हुए थोड़ा डरता था।

"मैं तुम लोगों पर नहीं हंस रहा हूं। लेकिन ये सिचुएशन ही इतनी फ़नी है। वो साला इतना ईमानदार बना

फिरता था। मुझे अपने कैंपस में नहीं घुसने दिया। अब पता चल रहा है कि वो एक ठरकी प्रोफ़ेसर था, राणा ने मैं अपना दूध का कप लिए बैठा था और राणा की हंसी बंद होने का इंतज़ार कर रहा था।

   0
0 Comments